वीर्यनाश से होने वाले पारिवारिक असर

4. पारिवारिक असर

पहली बात,

जब आप पोर्न, हस्तमैथुन आदि आदतों में लग जाते हो तो सबसे गहरा असर आपके विवाह पर पड़ता है। आप विवाह के लायक़ संयमी व्यक्ति बन ही नहीं पाते हो।

क्योंकि वर्षों तक हर रात को एक अलग स्त्री को अपने मोबाइल में देखकर अपने आपको उत्तेजित करने की आदत आपको जीवनभर के लिए अपनी पत्नी मात्र के साथ संतोष से रहना नहीं सिखाती है।

फिर विवाह आपके लिए बस संभोग सुख पाने का रास्ता और पत्नी बस संभोग का एक साधन मात्र बनकर रह जाती है। विवाह को आप फिर एक पवित्र बंधन और भगवद्माप्ति के मार्ग के रूप में कभी देख ही नहीं पाते हो।

अरे! भगवद्द्माप्ति तो दूर की बात है। पोर्न के बाद आप अपनी पत्नी के साथ संभोग सुख भी नहीं ले पाते हैं।

प्रतिदिन पोर्न में नयी नयी नग्न और उत्तेजक स्त्रियों को देख हस्तमैथुन से अप्राकृतिक और काल्पनिक संभोग की आदत लगाने के बाद एक सामान्य स्त्री से आपको लगाव की भावना आ ही नहीं पाती है।

फिर आपको अपनी ही पत्नी के साथ संभोग के लिए पोर्न आदि की कल्पना से उत्तेजित होना पड़ता है।

और चलो लगाव भावना आ भी गई, तो भी क्योंकि आपने अपनी हथेली की कठोर त्वचा से जीवनभर मैथुन किया है तो दुनिया की किसी भी स्त्री की योनि या तो आपके लिए संवेदनशील नहीं लगेगी या तो फिर असह्य रूप से अति संवेदनशील लगने लगेगी।

इन्ही आदतों के कारण आज अधिकतर युवा स्तंभन आदि दोषों (Erectile Dysfunction) से पीड़ित हैं। क्योंकि एक बार आदत लगने के बाद वे बिना पोर्न के अपने आपको उत्तेजित भी नहीं कर पाते हैं। और हमेशा के लिए इस पोर्न के ज़हरीले कुचक्र में फँस जाते हो।

दूसरी बात,

बाली मान लेते है की आपके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ, और आप अपने विवाह में पत्नी से संभोग सुख ले भी पा रहे हो।

तो भी क्योंकि आप इन संभोग की इच्छाओं के दास हो गए हो इस लिए यदि आपकी पत्नी संस्कारी नहीं है तो आपकी इस इच्छाओं का फ़ायदा उठाकर वो आपका जीवन बर्बाद कर देगी।

और यदि आपकी पत्नी संस्कारी हुई, तो आपकी इस असंयमी कामेच्छाओं के कारण आप उसका जीवन और आपके संबंध बर्बाद कर दोगे।

और यदि आपका विवाह अभी तक नहीं हुआ है, तब तो ख़ास आपको ध्यान रखना आवश्यक है। क्योंकि असंयमी लोग बड़ी सरलता से सुंदरता के जाल में फँस जाते हैं और स्त्री में सुंदरता के पार कुछ देख ही नहीं सकते।

जब सिर्फ़ सुंदरता को ध्यान में रखकर कोई विवाह रचा लेता है, बिना यह देखे कि,

1. स्त्री का चरित्र कैसा है?

2. गुण कैसे हैं?

3. उसकी आदतें कैसी हैं?

4. उसकी इच्छाएँ कैसी हैं?

5. उसका अपने स्वयं के परिवार के प्रति व्यवहार कैसा है?

तो ऐसे में वह पुरुष शुरुआत में कुछ दिन तो अवश्य खुश रहता है, परन्तु उसके बाद जीवनभर के लिए पछतावा करता है।

विवाह का निर्णय आपके जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण निर्णयों में से एक है।

आपके जीवन के लगभग लगभग सभी क्षेत्रों में उसका असर होगा।

अतः जो लोग कामेच्छाओं के वशीभूत होकर यह निर्णय ले लेते हैं, यह जानते हुए भी कि सुंदरता के जाल में वो फँस रहे हैं, ऐसे लोग जीवन की प्रत्येक स्थिति में मुश्किलों को ही प्राप्त होते हैं।

तीसरी बात,

चलो! यह भी मान लेते हैं कि, आपको पूर्व सत्कर्मो के फलस्वरूप ऐसी सुंदर पत्नी मिली जो कि संस्कारी भी है और संपूर्ण रूप से आपको समर्पित होकर आपकी कामेच्छाओं की पूर्ति भी करती है।

तो भी क्योंकि आपने वर्षों तक पोर्न देखकर प्रतिदिन अलग अलग स्त्रियों को देखकर अपने आप को उत्तेजित करने की आदत लगाई है इसके कारण आप अपनी उस सुंदर पत्नी से भी कुछ ही समय में ऊब जाओगे।

और फिर अन्य स्त्रियों के साथ विवाहेतर संबंध बनाना चाहोगे। फिर भले ही आपको अपनी पत्नी से बहुत लगाव हो। फिर भी अपनी आदत के वश होकर आप अपने आपको संयम में नहीं रख पाओगे।

और इससे न ही केवल आप अपना, परंतु उस लड़की का और आप दोनों के परिवारजनों का संपूर्ण जीवन नर्क के समान कर दोगे।

याद रखें!

आपकी कुछ पलों की कामेच्छा (lust) आपके सम्पूर्ण जीवन को बर्बाद करने के लिए पर्याप्त है।

चौथी बात,

पत्नी के साथ के संबंध का विनाश तो सिर्फ़ शुरुआत है। जो लोग इस पोर्न आदि की आदत में ज़्यादा घुसते जाते हैं, वे फिर किसी भी स्त्री को एक सामान्य दृष्टि से नहीं देख पाते हैं।

उनकी मानसिक दशा इस हद तक सड़ जाती है कि, उनकी अपनी माँ समान भाभी, बहन और अन्य संबंधों में भी बस संभोग वृत्ति ही दिखती हैं। फिर वे चाहकर भी मन को नियंत्रण में नहीं कर पाते और फिर उन संबंधों की पवित्रता को फिरसे कभी अनुभव नहीं कर पाते हैं। यहाँ तक कि वो अपने भगवान तक के संबंध की पवित्रता खो बैठते हैं।

और कुछ बार तो इंद्रियाँ इतनी संयम से बाहर निकल जाती है कि वे आवेग में आकर संबंधी में ही कोई ऐसा कृत्य कर बैठते हैं कि फिर जीवन भर के लिए अपनी मान, मर्यादा और संबंध सब कुछ खो बैठते हैं।

पांचवी बात,

सबसे भयानक हालात तो तब होते हैं,

जब आपको पता भी नहीं चलता कि इस नीच कृत्य को करते करते कब आपकी हवस संबंधों को तो छोड़ो. योनि तक की मर्यादाओं को लांघ कर आगलागिक और काफ़ी बार तो पशु आदि तक भी पहुँच जाती है।

जी हाँ!

पढ़ने सुनने में यदि आपको घिन्न आ रही है, और लगता है कि नहीं! नहीं! मुझसे यह तो नहीं हो सकता!

तो ऐसे भ्रम में न रहिए। यह रिसर्च तक हो चुकी है कि सतत वीर्य का नाश करने से शरीर में जो Hormonal Imbalance होता है, उससे व्यक्ति की लैंगिक वृत्तियाँ भी बदलने लगती है।

जिसकी शुरुआत आक्रामक (Hard Core Tendencies) वृत्तियों से होकर, समलैंगिकता (Homosexuality) से, फिर पशु संभोग (Bestiality & Zoophilia) तक भी पहुँच जाती हैं।

और यह तो शुरुआत है।

इस मानसिक विचित्रता और विकार का कोई अंत नहीं होता है। इसके आगे किस हद तक बातें पहुँच जाती है वो हम बता भी नहीं सकते, और बताना भी नहीं चाहते। जितना कम इन विचित्रताओं के बारे में जानो उतना ही अच्छा है।

यह तो बात हुई की वीर्यनाश की वृत्तियाँ किस हद तक

इस भौतिक जगत में आपको असर करती हैं।

परंतु ऐसा भी नहीं है कि इस भौतिक जगत

में और इस जन्म तक ही आपको यह असर करेगा।

वीर्यनाश की वृत्तियाँ आप पर आध्यात्मिक रूप से भी इस हद तक असर करती हैं कि इसके असर आप जन्म जन्मांतर तक लेकर घूमते हैं।

कैसे ? आइए देखते हैं।

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