ब्रह्मचर्य टूटने का छठा कारण – वैश्यावृत्ति

6. वैश्यावृत्ति (Prostitution)

अधिकतर युवा पुरुषों को आज ब्रह्मचर्य का ज्ञान न दिये जाने से वे मूवीज़ और इंटरनेट पर पोर्न आदि देखकर ऐसे गहरे भ्रम में घुस गए हैं कि संभोग में ही संपूर्ण संसार का सबसे श्रेष्ठ सुख है।

ऐसे में वे किसी न किसी तरह उसकी प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। जब किसी का विवाह नहीं हुआ होता और न ही वो किसी स्त्री को रिझा पाता तो ऐसे में अपने इस भ्रमजन्य सुख की प्राप्ति के लिए वो वैश्यालय की शरण लेते है।

और शुरुआत में यह प्रतीत भी होता है कि सच में बड़ा सुख है इसमें। परंतु समय के साथ यह भ्रम हटने लगता है और एक स्तर पर आकर भोग के ऐसे जाल में फँस जाते है कि एक ओर उससे नफ़रत होने लगती है और दूसरी ओर उसके बिना रहा नहीं जाता। ऐसे में फिर चाहने पर भी वे संभोग का न ही आनंद ले पाते हैं न ही उसे छोड़ पाते हैं।

विवाह के पश्चात भी वैश्यालय जाने वाले अधिकतर वे लोग होते है जिन्होंने पोर्न आदि देखकर अपनी इच्छाओं को इस हद तक विकार युक्त कर दिया है कि ऐसे कृत्य अपनी पत्नी के साथ कर नहीं सकते परंतु कामेच्छा इतनी प्रबल हो गई है कि अब उन्हें किए बिना रहा भी नहीं जा रहा। ऐसे हवस पूरा करने का सिर्फ़ एक मात्र मार्ग रहता है। वैश्यालय।

अतः यह जानें की इन कामेच्छाओं के विकार की कोई हद नहीं होती है। इसलिए जो लोग अपने जीवन में संभोग क्रिया की पवित्रता नहीं बनाए रखते, उनका शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विनाश हो जाता है।

जीवन भर वो उस घृणा से नहीं निकल पाता है। एक काला धब्बा हमेशा उसके हृदय में घर कर जाता है। जिसको हटाना असंभव सा हो जाता है।

अतः यदि आप सोचते हैं कि ऐसा हवस से भरा कामुक संभोग आपको आनंद, संतोष, निकटता और जुड़ाव देगा, तो आप बड़े भ्रम में जी रहे हैं। वास्तविकता में ऐसा कामुक संभोग मात्र घृणा देता है, और कुछ नहीं।

जब स्त्री विवाह करके पुरुष को संपूर्ण समर्पण करती है और पुरुष उसकी समस्त ज़िम्मेदारियों को उठाकर उसको हृदय से स्वीकार करता है तभी दोनों के बीच में धर्ममय आनंद और संतोष की अनुभूति होती है। वरना बस सुख के भ्रम में आप अनंत घृणा और पश्चाताप की खाई में ही गिरते हो।

अभी एक और ऐसा तरीक़ा है जिससे एक सुखी विवाह के पश्चात भी पुरुष अपना ब्रह्मचर्य तोड़ता है, वो है…

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